Om Sai Ram

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Wednesday, April 12, 2017

दुख

‘‘मुझे दु:ख पसंद है। यह मुझे भगवान के पास ले जाता है।’’ नीम करोली बाबा ।

शायद हम सभी को दुःख पसंद है । कम से कम मुझे तो है ही । इसका कारण ये हो सकता है की मैंने आनंद का अनुभव किया ही नही कभी । वो छद्म अहसास जिसे हम आनंद कहते हैं क्या वो वास्तविक आनंद होता है ?
पूछो अपने मन से .... नही न ! 
हर वो कार्य जो हमें लगता है आनंद दे रहा है अगले ही क्षण दुःख के गलियारे में पहुँचा देता है एक नयी अपेक्षा के साथ क्योंकि मानव मात्र की प्रवृति है कि भोग्य को भोगने के पश्चात वो अपनी अगली आकांक्षा के बारे में सोचना शुरू कर देता है जो की फिर उसे दुःख के सागर में डुबो देता है । 
आनंद तो वो है जिसे पाने के बाद किसी और की आकांक्षा ही न रह जाए ।


तरुण ©®

Wednesday, June 15, 2016

कौन हूँ मैं ???

कौन हूँ मैं?
रात को सोते समय अचानक ये ख़याल आता है की भाई कौन हो तुम ? क्या करने आए हो ? और उचित भी था ये सवाल क्योंकि अक्सर हम इन सवालों से गुज़रते आएँ है कभी अनजान व्यक्ति को अपना परिचय देते समय कभी नौकरी के आवेदन के समय साक्षात्कार के समय पर हर समय हमारा सामना इन सवालों से होता आया है और हम एक बहुत ही उत्कृष्ट छवि के साथ अपने आप को पेश कर देते हैं । जैसा कि बचपन से हमें सिखाया गया है " first image is last image" और हम जुट जाते हैं Image Creation में । मैं भी सीना चौड़ा कर के तमाम उपलब्धियाँ गिनाता रहता हूँ आख़िरकार इमेज जो बनानी है की भैया हम ये हैं वो हैं , ये किए वो किए , फ़लाँ फ़लाँ...
लेकिन सच में क्या हमें पता है की हम कौन हैं ? शायद नही या फिर हमारे अंदर ये साहस ही नही की हम अपने आप से पूछ पाएँ और पूछ भी लिया साहस जुटा के तो जवाब समझते ही साहस चूक जाता है क्योंकि ये जवाब हमें आइना दिखा देता है और मनुष्य ,नही नही मनुष्य नही ।हम किसी से वास्तविक में भागते हैं तो सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने आप से ।
इन्ही सवालतों के झंझावात से आज कल मैं भी जूझ रहा हूँ और साहस जुटा के जवाब सुनने की कोशिश किया मन का । जानते हैं क्या जवाब मिला ? सुनिए मन ने कहा की भाई तुम और तुम्हारे पाले हुए कुत्ते में अभी तक मुझे कोई अंतर नही मिला । "मैं और मेरा कुत्ता ये क्या बकवास है ? " यही प्रतिक्रिया थी मेरी भी फिर मैंने अपनी पत्नी से पूछा "  मेरा मन कहता है की मेरे और इस जानवर में कोई अंतर नही है " ।
अब भला कोई पत्नी इस तरह की बात क्या सुन सकती है ? बोली सो जायिये ज़्यादा दिमाग़ मत खपाइये इन सब बातों में आप की और इस नामुराद कुत्ते की क्या तुलना ?
फिर मैंने पूछा की बताओ अंतर तो बोली - " आप पढ़े लिखे हैं परिवार की ज़िम्मेदारी उठाते हैं । सोचते हैं अपना और अपने परिवार का भला बुरा । बच्चों की शिक्षित कर रहे हैं । ये आपका पालतू ग़ुलाम है आप आज़ाद ,आदि आदि ...
फिर मैं मन की ओर मुख़ातिब हुआ पत्नी द्वारा दिए साहस के साथ और बोला " सुने ? " चले थे तुलना करने  । जानते हैं क्या बोला मन ?
भाई सुन ये कुत्ता भी तेरी तरह अपने भोजन की व्यवस्था करता है , अपने बच्चों की रक्षा सारी विपत्तियों से करता है , अपने बच्चों को शिकार करना सिखाता है ताकि वो अपना पेट भर सकें जैसे तू सिखाता है । तू भी तो पेट भरने लायक ही बना रहा है अपने बच्चों को ? कौन सा जीवन का ज्ञान दे रहा है । तेरी तरह वो भी बड़े होकर नौकर बन जाएँगे । और अंत में हँसते हुए बोला मन " आज़ाद " कौन है आज़ाद ? तू आज़ाद है ? अरे पगले इस कुत्ते की तो बेड़ियाँ दिखती है पर तेरी तो बेड़ियाँ इस से कहीं ज़्यादा मज़बूत है बस वो दिखती नही । तू इस बेज़ुबान से कहीं अधिक मजबूर है दोस्त । ये भी ख़ुद के लिए जी रहा है तू भी ख़ुद के लिए जी रहा है तो क्या अंतर है भला तुझमें और इसमें ?
     मैंने फिर बोला मूर्ख मैं इंसान हूँ ये जानवर फिर सहसा एक मित्र द्वारा कही एक बात ले आया मन सज़ा के - इंसान कैसा इंसान ! किसने  देखा तुझे इंसान की तरह आज तक या तूने किसी को देखा आज तक इंसान की तरह ?
माँ बाप के लिए बेटा पत्नी के लिए पति बच्चों के लिए बाप , किसी के लिए दोस्त और किसी के लिए कर्मचारी किसी के लिए अधिकारी , बता भाई किसके लिए इंसान है तू ? चल एक आदमी का नाम बता ???
 शायद मेरे पास इसका जवाब नही था और ना अभी तक है ।
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तरुण
15/06/2016

Thursday, September 20, 2012

तन्हा ......




मुझे माफ कर दे ऐ मेरी जिंदगी , जो मैं तेरा हो ना सका 

तुने तो बहुत प्यार दिया मुझे , पर शायद मैं तन्हा ही रह गया |


© तरुण तिवारी

दर्द


दर्द अश्कों से निकल जाये तो फिर बात ही क्या हो ,
कमबख्त दिल में उतर जाता है और जीने नही देता | 

© तरुण तिवारी

Friday, August 10, 2012

कष्ट हरो नंदलाल |


कष्ट हरो नंदलाल | 
अब हर घर मथुरा जह कंस विराजे 
तोहसे कछु  कबहूँ ना छुपे रखपाल 
अब पीर परत है भारी निष् दिन कछु तो करो ख्याल 
कष्ट हरो नंदलाल ,अब कष्ट हरो नंदलाल 
चील गिद्ध यहा सब स्वक्च्न्द हैं पहन मनुष्य कि खाल 
अब कष्ट हरो नंदलाल | ~ तरुण 

Tuesday, February 14, 2012

कारवाँ




मत दे मुझे शहंशाही ऐ मेरे मालिक ,
करम इतना कर कि ताउम्र गैरों के लिए दुआ निकले |
जिंदगी जैसी भी तू देगा कुबूल है मुझे ,
पर मौत ऐसी हो कि जहाँ रोये ,जब मेरे जनाजे का कारवाँ निकले|   
                                                                                                             ~ © तरुण तिवारी