Om Sai Ram
Monday, August 23, 2010
फिर इक अदद शाम कि तलाश है मुझे ............
क्यूँ मेरी जिंदगी में अब शाम नही आती है ?
वो शाम जो बचपन में कई सपने ले के आती थी
वो शाम जिसमें खेलों के मैदान जवां होते थे ,
वो शाम जिसमें हम पतंग कि पेंचो में उलझ जाते थे
वो शाम जब हम सारे बंधनों से जुदा हो जाते थे
वो हंसी वो ठहाके वो दोस्तों कि शिरकत ,
वो शाम जिसमें हम जिंदगी खुद जिया करते थे
वो शाम अब क्यों नही आती है ?
क्यों अब सुबह के बाद सीधे रात हो जाती है ?
दोस्त तो अब भी हैं मगर अब वो हँसते नही
क्यों अब हँसने के लिए T.V कि मदद ली जाती है ?
इक दिन यूँ ही बैठा अपने दिल से सवालात किया
क्यों बोझिल है तू ,क्या कुछ नही है मुझपे ?
गाड़ी है बंगला है और शानोशौकत है
बता ख्वाहिश है क्या तेरी , किस चीज कि आस है तुझे ?
जवाब- ऐ –दिल था कि इक अदद शाम कि तलाश है मुझे
जो तेरी जिंदगी में अब नही आती है ................
आपका अपना
तरुण
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