दिन के उजाले में कही शाम नज़र आयी है
सहरों-शाम अब तू ही तू हर खासो-आम नज़र आयी है
ये हवा आज इतनी मदमस्त क्यों बह रही है ?
लगता है आज फिर ये तेरा कोई पैगाम ले के आयी है
वो नादाँ है जो इश्क का दर्द नही समझते ...
कभी डूब के देख माशूक कि मस्त निगाहों में
है इश्क तेरा सच्चा तो
वहीँ काशी कि गंगा और काबा कि खुदाई है ............
तरुण
वाह!! बहुत खूब!
ReplyDeleteबहुत बढिया .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद .......आप सभी को भी रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteहै इश्क तेरा सच्चा तो
ReplyDeleteवहीँ काशी कि गंगा और काबा कि खुदाई है ............
वाह क्या बात है ... सच है इश्क़ सब से ऊपर है .....
राखी का पर्व मुबारक हो ...
बहुत खूब..
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